Tuesday, November 9, 2010

उमड़ गया पावन उजियारा


लो  फिर सहसा
उमड़ गया पावन उजियारा
बह निकली अनायास
चिर प्रसन्नता की धारा
 
२ 
लो फिर सहसा
मैंने तुमको पुकारा
जगमगा उठा
बोध जगत सारा
 
३ 
आनंद के यह 
अनछुए पल
इनमें गाये
अनंत निश्छल
 
४ 
एक नाद ऐसा
कण कण कर दे प्यारा
लो फिर सहसा
उमड़ गया पावन उजियारा


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
९ नवम्बर २०१०
 


 

2 comments:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

प्रवीण पाण्डेय said...

काश, यह प्रकाश सबको प्राप्त हो।

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