(गणपति जी के स्वरुप सा नाम- वेंकटेश) |
बात बदलती है रंग अपने नज़र के साथ
अचानक हो जाती है खुशियों की बरसात
जहाँ पहुंचा मैं तेरी याद की चादर लेकर
मेरे पीछे चली आयी कोई एक चांदनी रात
बहकता है कोई हिरन सा कई सदियों से
साथ है जो, लगे है, छूट गया उसका साथ
पुकार मेरी शिखर तक पहुँच खामोश हुई
बराबर हो गए मेरे लिए अब दिन और रात
उदास शहर में खुशबू का नया झोंका है
गंध माटी की लिए झूम गए मेरे हाथ
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ नवम्बर २०१०
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जहाँ पहुंचा मैं तेरी याद की चादर लेकर
मेरे पीछे चली आयी कोई एक चांदनी रात
खुबसूरत शेर , दीवाली की शुभकामनायें
चाँदनी आपकी रातों को महकाती रहे, दीवाली की शुभकामनायें।
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