इतिहास के लिए नहीं
पर
इतिहास से जीता हूँ मैं
जाने-अनजाने
अतीत के संकेत
देते हैं दिशा निर्देश
मेरी निर्माण प्रक्रिया में
शामिल है
बहुत कुछ ऐसा
जो हो चुका था घटित
मेरे प्रकट होने से पहले
किसी एक
सूक्ष्म संवेदनात्मक क्षण में
सहसा
कृतज्ञता से भर कर
याद करता
उन सबको
जिन्होंने किया अनुसंधान सत्य पर
वह सत्य
जो उनके साथ भी वैसे ही
सम्बंधित था
जैसे मुझसे है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
1 comment:
बहुत सुन्दर कविता, इतिहासीय पक्ष उभारती।
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