यहाँ
कई रंगों के झंडे हैं
एक वो भी रंग है
जिसमें सब समा जाते हैं
एक वो भी
जिससे सब घबरा जाते हैं
मैं अब तक
पारदर्शी हूँ
कोई भी रंग
मुझ पर ठहरता नहीं
इस तरह रंगमुक्त या रंगहीन होना
मेरे लिए
वरदान है या अभिशाप?
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
2 comments:
सत्य को दिखा देने का गुण पारदर्शी में ही हो सकता है।
mere vichar se ye Varadan he
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