जब जब तेरी याद की चादर ओढी है
अपनी हर मुश्किल की चर्चा छोड़ी है
तेरी रहमत में रम जाने की धुन ले
फुरसत जो भी है, लगता है थोड़ी है
२
रात उदासी का मंजर था, बीत गया
फिर से उजियारे का पंछी जीत गया
किरण दे रही दस्तक अब घर-द्वारे पर
धड़कन में हो गया अंकुरित गीत नया
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ अक्टूबर २०१०
1 comment:
किरण की दस्तक दिन का प्रतीक है।
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