वह क्या है
जो अनुभव के रंग
पल भर में
बदल कर
सुन्दर, सुनहरे कर देता है
वह
प्रभाव
एक अपरिभाषेय उपस्थिति का
ह्रदय में
जगा देता है
एक ताप सा
जिससे
मिट जाते सब संताप
यह क्या है
करूणा के सागर सा
बहते बहते
स्वर मात्र से
व्यवस्थित, समन्वित कर देता
मन की उथल-पुथल
इस एक
अनुभूति में
घुल मिल कर
नया सा हो जाता
जीवन सारा,
यह नयापन लेकर
जब
मिल रहा हूँ
तुम्हें,
तुम्हारे लिए
मैं वही पुराना हूँ
पर तुम नए-नए हो गए हो मेरे लिए
अहा!
अशोक व्यास
शिकागो, अमेरिका
२ अक्टूबर २०१०
2 comments:
कुछ तो है जो अस्तित्व में मधुरता बन घुल जाता है।
bahut sunder bhav hee karishma karane kee kshamata rakhate hai.........
ati sunder........
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