Sunday, September 26, 2010

स्मृति की मधुशाला





उनींदी आँखों में
जाग धर कर
छुप जाने वाला,
कैसे लगा देता है
नींद पर ताला,

रात की चुप्पी में
सुने है क्या-क्या 
मन ये भोला भाला,
मुस्कुराती है
घूंघट हटा कर
स्मृति की मधुशाला,


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२७ सितम्बर 2010

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

स्मृति की मधुशाला, वाह।

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