उनींदी आँखों में
जाग धर कर
छुप जाने वाला,
कैसे लगा देता है
नींद पर ताला,
रात की चुप्पी में
सुने है क्या-क्या
मन ये भोला भाला,
मुस्कुराती है
घूंघट हटा कर
स्मृति की मधुशाला,
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२७ सितम्बर 2010
है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
1 comment:
स्मृति की मधुशाला, वाह।
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