Monday, September 13, 2010

मेरा विस्तार

 
लिखते समय
कौन सी बात
उछल कर
आ धमकती है शब्दों के साथ
निर्णय इसका
मेरा नहीं
उसका है
जो ले चुका है
निर्णय
मुझे बनाने का
 
हर बात 
मुझे बनाती है
किसी नए ढंग से
मेरा विस्तार मुझे दिखाती है
और जब
संकुचित हो जाता है मन
हर बात ठहर सी जाती है

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका

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