Friday, August 27, 2010

समन्वय का सुन्दर स्वर

 
1
देखते-देखते
बहती नदी 
रेत के टीलों को 
कर देती है समतल,
बहाव में
सम का सौंदर्य 
प्रकट हो जाता
पल पल

2
खोने-पाने के झूले 
से उतर कर
एक कोई
मद्धम सुर में
साँसों का मधुर गीत
सुनता- सुनाता है
और
बहते बहते
समन्वय का सुन्दर स्वर 
फ़ैल फ़ैल कर
सृष्टि का सार दिखाता है

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२७ अगस्त २०१०

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