उसकी बातों मैं अमृत है
उत्साह बढ़ाती रंगत है
मन में कुछ ऐसा लगता है
जैसे कि साथ में शाश्वत है
२
वो प्रेम का प्याला लिए चले
एक दिव्य दुशाला लिए चले
दिखलाए सब जग अपना है
सम्बन्ध निराला लिए चले
३
उससे प्रकटे आशा अपार
हो जाता जीवन का संचार
चिर आनंद गान सुनाता है
बहने लगती है सार-धार
४
वैभवशाली बन जाना है
नूतन लय को अपनाना है
जो गौरव है भारत माँ का
साँसों से उसको गाना है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ६ बज कर ४० मिनट
मंगलवार, २२ जून २०१०
1 comment:
वाह्……………बहुत सुन्दर भाव।
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