Tuesday, June 22, 2010

वो प्रेम का प्याला लिए चले


उसकी बातों मैं अमृत है
उत्साह बढ़ाती रंगत है
मन में कुछ ऐसा लगता है
जैसे कि साथ में शाश्वत है

२ 

वो प्रेम का प्याला लिए चले 
एक दिव्य दुशाला लिए चले
दिखलाए सब जग अपना है
सम्बन्ध निराला लिए चले


उससे प्रकटे आशा अपार
हो जाता जीवन का संचार
चिर आनंद गान सुनाता है
बहने लगती है सार-धार


वैभवशाली बन जाना है
नूतन लय को अपनाना है
जो गौरव है भारत माँ का
साँसों से उसको गाना है 


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ६ बज कर ४० मिनट
मंगलवार, २२ जून २०१०

1 comment:

vandana gupta said...

वाह्……………बहुत सुन्दर भाव।

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