उसने फिर कहा
देख मुझे देख
एक हूँ मैं एक
मत उलझ रूप में
मत उलझ नाम में
किसी चुनौती के आगे
घुटने मत टेक
देख मुझे देख
जल में, थल में
गगन मंडल मे
हर स्थल में
सत्य सनातन है
मेरे होने की
मंगल रेख
देख मुझे देख
उन आँखों से
जिनमें जाग्रत
गुरुकृपा से विवेक
खोने पाने की फिक्र छोड़
बन माध्यम
किये जा
कर्म सारे नेक
देख मुझे देख
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ६ बज कर ३५ मिनट
सोमवार, २१ जून २०१०
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