लो अपनी असहमति के पहिये से
नई गाडी बनाओ
समझ की पटरी पर कुछ ओर
आगे बढ़ जाओ
तुम अब तक अविश्वास करते हो
क्यूं अपने आप पर
सूरज के सम्मुख निरावरण हो
उज्जवल हो जाओ
सभा में स्थापित खंडित सत्य से
छटपटाना सहज है
पर इसकी चुभन से, घायल हो
स्वयं को दुर्बल ना बनाओ
अच्छा तो ये होगा, सत्य के बारे में
अपनी समझ बढाओ
और निर्भयता से प्रखर होकर
असीम की महिमा गाओ
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ९ बज कर २६ मिनट
रविवार, ६ जून २०१०
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