Wednesday, March 24, 2010

147-जहाँ होना सबसे अच्छा है

(संवित शंकरालोक, अहमदाबाद                    चित्र - अशोक व्यास )

जब ये पता हो
कि किसे कहाँ होना चाहिए
तब 
कितना आसान हो जाता है
चीजों को फिर से व्यस्थित करना

जब ये पता हो
कि शक्ति और अधिकार है हमारे पास
चीज़ों को इधर-उधर करने का
तब
कितना आसान हो जाता है
निर्मित करना 
संभावित सुन्दरतम स्थिति



सबसे अच्छा क्या है
निर्णय इसका 
आवश्यक तो है
पर कर नहीं पाते हम 
अक्सर 
तात्कालिक दबाव ही
करते रहते हैं 
व्यवस्था कि
कौन सी चीज 
कहाँ रखी जायेगी 
हमारे मन में
और ये भी
कि किस समय
कहाँ रखे होंगे हम


स्वतंत्रता हमारी देहरी पर
करती है प्रतीक्षा
कि हम 
सुन कर उसकी मद्धम पुकार
किसी क्षण
मुक्त होकर अपने
तात्कालिक दबावों से
कर लें उसकी अगवानी

साथ लेकर उसे
कर लें निर्णय
नए सिरे से
कहाँ-कैसे-क्या रखा जाना चाहिए
मन में
और रख दें अपने आपको
वहां
जहाँ होना सबसे अच्छा है
हमारे लिए



अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ६ बज कर ३० मिनट 
बुधवार, २४ मार्च २०१०

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