पावन मंगल पथ चलवाये श्याम सखा
जो होता है, सब करवाये श्याम सखा
दिव्य धरोहर धरी ह्रदय में उसने ही
करे कृपा और दरस कराये श्याम सखा
नृत्य नित्य करवाता है सारे जग को
कभी हंसाये और रुलाये श्याम सखा
मैं जिसकी धुन रहना चाहूं आठ पहर
उस धुन को जाग्रत करवाये श्याम सखा
आज अभी यूं लगता है सब को दे दूं
शुद्ध प्यार उपहार, लुटाये श्याम सखा
संबल ऐसा, हर पल साथ निभाता है
शाश्वत का स्पर्श कराये श्याम सखा
शब्द प्रसून मौन में अपने लिए चलूँ
अर्पित कर दूं, जब मिल जाये श्याम सखा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ९ बज कर १२ मिनट
बुधवार, मार्च १७, 2010

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