गाडी निकलने के बाद
पहुँच कर प्लेटफोर्म पर
देखता रहा
पटरियां देर तक,
सुनता रहा
चुप्पी में
उस रेल के गुजरने का स्वर
जो जा चुकी थी बहुत पहले
२
वह सब जो छूट जाता है
उसे बुलाने के लिए
रचते हैं
हम कुछ नए स्मृति कक्ष
और
फिर
जला कर सुगन्धित अगरबत्ती
करते हैं पूजा
उन पावन क्षणों की जो
हमारे ना होकर भी
बने रहते हैं हमारे
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
मार्च ७, २०१०
दोपहर २ बज कर २ मिनट
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