उल्लास और स्फूर्ति के नए आभूषण
बनाओ सांसो से
पहनाओ सांसो को
झिलमिलाने दो इस चमक को
अपनी मुस्कान में
उन्ड़ेलो शुभ्र भाव का रस
अपने शब्दों में
मौन में
जब उतरता है
अनुभव माधुर्य का
तुम्हारे लिए
तुम्हारे भीतर से
करो सत्कार इसका
चढ़ा कर
कृतज्ञता के
नव सुमन
विराट के चरणों में
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
फरवरी ११, १०
सुबह ८ बज कर ५३ मिनट
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