कभी कभी हम नया कदम उठाने से पहले
अपेक्षाओं के बोझ से दब जाते हैं
कभी कभी हम प्रतिक्रिया पर इतना ध्यान लगाते हैं
कि अपने मूल को भूल जाते हैं
क्यों हम अपने आपको नकारते हैं
क्यों पराई दृष्टी इस तरह स्वीकारते हैं
कि अपने कबूतर को भुला कर
दूसरों की बिल्ली को पुचकारते हैं
प्यार बाहर तब ही जाएगा
जब अपने भीतर पनप पायेगा
आत्म सौन्दर्य को देखे बिना
जो प्यार सा लगेगा, मुरझा जाएगा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ फरवरी २०१०
सुबह ८ बज कर १ मिनट
अपेक्षाओं के बोझ से दब जाते हैं
कभी कभी हम प्रतिक्रिया पर इतना ध्यान लगाते हैं
कि अपने मूल को भूल जाते हैं
क्यों हम अपने आपको नकारते हैं
क्यों पराई दृष्टी इस तरह स्वीकारते हैं
कि अपने कबूतर को भुला कर
दूसरों की बिल्ली को पुचकारते हैं
प्यार बाहर तब ही जाएगा
जब अपने भीतर पनप पायेगा
आत्म सौन्दर्य को देखे बिना
जो प्यार सा लगेगा, मुरझा जाएगा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ फरवरी २०१०
सुबह ८ बज कर १ मिनट
No comments:
Post a Comment