एक क्षण में
कितना कुछ छुपा होता है
अनंत जैसे
हर क्षण में
छुप छुप कर
पुकारता है हमें
आओ मेरे गले लग जाओ
किसी भी रास्ते को अपना कर
आ सकते हो तुम
मुझ तक
चलो तो सही
रुक मत जाना
चलते चलते
लौट कर पुराने चिन्ह
ढूँढने की आदत
दूर रखती है मुझसे
सुनो
खेलो ना खेल
छोड़ कर अपने आपको
खेल विस्तार का
खेल सतत प्यार का
खेल अपने ही
आविष्कार का
देखो इस वैभव को
इस जगमाते सौंदर्य को
इस अथाह शांति वाले समुद्र को
यह सब जो तुम्हारा है
इस सीमातीत को अपनाने के लिए
खेलो ना
अब तो
क्षुद्रता छोड़ कर
हो कर साथ मेरे
करो रसपान संसार का
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जनवरी २६, २०१०
मंगल्वाल, सुबह ६ बज कर ३१ मिनट
कितना कुछ छुपा होता है
अनंत जैसे
हर क्षण में
छुप छुप कर
पुकारता है हमें
आओ मेरे गले लग जाओ
किसी भी रास्ते को अपना कर
आ सकते हो तुम
मुझ तक
चलो तो सही
रुक मत जाना
चलते चलते
लौट कर पुराने चिन्ह
ढूँढने की आदत
दूर रखती है मुझसे
सुनो
खेलो ना खेल
छोड़ कर अपने आपको
खेल विस्तार का
खेल सतत प्यार का
खेल अपने ही
आविष्कार का
देखो इस वैभव को
इस जगमाते सौंदर्य को
इस अथाह शांति वाले समुद्र को
यह सब जो तुम्हारा है
इस सीमातीत को अपनाने के लिए
खेलो ना
अब तो
क्षुद्रता छोड़ कर
हो कर साथ मेरे
करो रसपान संसार का
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जनवरी २६, २०१०
मंगल्वाल, सुबह ६ बज कर ३१ मिनट
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