रोज मिलते मिलते
किसी दिन यूं भी होता है
मिल कर भी होता नहीं मिलना
शायद
मिलने की बाध्यता में
जिसे सचमुच मिलना होता है
उसे हम दोनों
कहीं और छोड़ आते हैं
औपचारिकता में मिलते हैं
औपचारिकता में जीते हैं
और इस तरह जीते जीते
जीने का अर्थ ही गंवाते हैं
२
जीने के लिए
छोड़ना होता है
प्रमाद
ये बात
नहीं रहती याद
३
कविता नहीं
अपने आप से किया वादा निभाने
बैठ कर स्क्रीन के सामने
फेंकता हूँ
मानस ताल में
छोटे छोटे कंकर सा दृष्टि स्पर्श
सहला कर देखता हूँ
लहरों से क्या बनता है
कुछ भी बनाना हो
आलोडन विलोडन तो चाहिए
मंथन तो चाहिए
बिलोये बिना मक्खन कैसे आये
सुबह सुबह
बैठ गया हूँ
इस श्रद्धा के साथ
की मेरे भीतर माधुर्य का मक्खन है
प्यार का ऐसा अमृत है
जो नित्य नूतन है
कविता श्रद्धा के साथ
अनुसंधानपरक दृष्टि भी मांगती है
कविता
अपने होने का नया प्रमाण
पूछती है
इस तरह
मेरे रेशे रेशे के प्रति चोकन्ना कर के
सहज ही
प्रकट करती है
एक ऐसा क्षण
जिसमें मेरा अतीत और मेरा भविष्य
वर्तमान से मिल कर
जारी करते है
संयुक्त घोषणा पत्र
"एक को देखो
एक को देखो
एक को देखते हुए
दिखाई दे जायेंगे सब के सब"
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जनवरी २५, २०१०
सोमवार सुबह ६ बज कर ४२ मिनट
किसी दिन यूं भी होता है
मिल कर भी होता नहीं मिलना
शायद
मिलने की बाध्यता में
जिसे सचमुच मिलना होता है
उसे हम दोनों
कहीं और छोड़ आते हैं
औपचारिकता में मिलते हैं
औपचारिकता में जीते हैं
और इस तरह जीते जीते
जीने का अर्थ ही गंवाते हैं
२
जीने के लिए
छोड़ना होता है
प्रमाद
ये बात
नहीं रहती याद
३
कविता नहीं
अपने आप से किया वादा निभाने
बैठ कर स्क्रीन के सामने
फेंकता हूँ
मानस ताल में
छोटे छोटे कंकर सा दृष्टि स्पर्श
सहला कर देखता हूँ
लहरों से क्या बनता है
कुछ भी बनाना हो
आलोडन विलोडन तो चाहिए
मंथन तो चाहिए
बिलोये बिना मक्खन कैसे आये
सुबह सुबह
बैठ गया हूँ
इस श्रद्धा के साथ
की मेरे भीतर माधुर्य का मक्खन है
प्यार का ऐसा अमृत है
जो नित्य नूतन है
कविता श्रद्धा के साथ
अनुसंधानपरक दृष्टि भी मांगती है
कविता
अपने होने का नया प्रमाण
पूछती है
इस तरह
मेरे रेशे रेशे के प्रति चोकन्ना कर के
सहज ही
प्रकट करती है
एक ऐसा क्षण
जिसमें मेरा अतीत और मेरा भविष्य
वर्तमान से मिल कर
जारी करते है
संयुक्त घोषणा पत्र
"एक को देखो
एक को देखो
एक को देखते हुए
दिखाई दे जायेंगे सब के सब"
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
जनवरी २५, २०१०
सोमवार सुबह ६ बज कर ४२ मिनट
No comments:
Post a Comment