देखता हूँ
देखने में है कोई जादू सा
जिससे
रच रहा संसार सारा
देखता हूँ
देखने से रंग बदलती
मन की धारा
२
अब जब दिखती है दीवार
याद रहता है मुझे हर बार
है इस अवरोध के उस पार
दूर तक मेरा भी विस्तार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ५ बज कर २२ मिनट
जनवरी २०, 10
No comments:
Post a Comment