कभी कभी
यूँ होता है
की दिख रहा होता है
नए सूरज का उजाला
शब्दों से छन छन कर
आने लगता है
कोई रूप मतवाला
संगीत सा बजता है
सांसों में
उभरता है गीत
खुशियों वाला
आशाओं की किरणों
से सजा दिखता है
हर क्षण
जो है आने वाला
२
कभी कभी
यूँ भी होता है
खिलते खिलते
रुक सा जाता है
फूल का खिलना
छटपटाता है मन
जाने कब होगा
फिर अपनी ही
लय से मिलना
एक गुमसुम सा पंछी
बैठ कर कंधे पर
जगा देता है
जड़ता का बंधन
फूटती है रुलाई
छूटने लगता है
अपने आप से
किया हुआ वचन
दूसरी कविता
प्रार्थना
आज से नया हो
आत्म दर्शन
आज फिर सार्थक हो
सम्भावना का आलिंगन
आज अनुभव नदिया पा जाये
सागर का ख़त
आज अनुभूति में सुन जाए
सच की दस्तक
आज आगे बढ़ने की अकुलाहट
पा जाये दिशा, गति और संबल
आज जाग्रत हो ऐसी आश्वस्ति
जो सार्थक, सुन्दर करे हर पल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार
जन ७ १०
सुबह ७ बज कर १० मिनट
की दिख रहा होता है
नए सूरज का उजाला
शब्दों से छन छन कर
आने लगता है
कोई रूप मतवाला
संगीत सा बजता है
सांसों में
उभरता है गीत
खुशियों वाला
आशाओं की किरणों
से सजा दिखता है
हर क्षण
जो है आने वाला
२
कभी कभी
यूँ भी होता है
खिलते खिलते
रुक सा जाता है
फूल का खिलना
छटपटाता है मन
जाने कब होगा
फिर अपनी ही
लय से मिलना
एक गुमसुम सा पंछी
बैठ कर कंधे पर
जगा देता है
जड़ता का बंधन
फूटती है रुलाई
छूटने लगता है
अपने आप से
किया हुआ वचन
दूसरी कविता
प्रार्थना
आज से नया हो
आत्म दर्शन
आज फिर सार्थक हो
सम्भावना का आलिंगन
आज अनुभव नदिया पा जाये
सागर का ख़त
आज अनुभूति में सुन जाए
सच की दस्तक
आज आगे बढ़ने की अकुलाहट
पा जाये दिशा, गति और संबल
आज जाग्रत हो ऐसी आश्वस्ति
जो सार्थक, सुन्दर करे हर पल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार
जन ७ १०
सुबह ७ बज कर १० मिनट
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