उत्साह का संचार करती बात का अभिनन्दन
प्रेम मय व्यवहार करते साथ का अभिनन्दन
जब समर्पित दृष्टि हो तो ऐसा हो जाता कभी
मन प्रफुल्लित हो करे हर बात का अभिनन्दन
२
जब कभी देखा ठहर कर
अपने से आगे निकल कर
प्रेम मय व्यवहार करते साथ का अभिनन्दन
जब समर्पित दृष्टि हो तो ऐसा हो जाता कभी
मन प्रफुल्लित हो करे हर बात का अभिनन्दन
२
जब कभी देखा ठहर कर
अपने से आगे निकल कर
पा लिया है उसके दर को
कामना का स्वर बदल कर
३
चल तुझे झूला झुलाऊँ
चांदनी का रथ सजाऊँ
उजलेपन के स्त्रोत से
आज मैं सबको मिलाऊँ
४
दूर तक जाना नहीं है
और कुछ पाना नहीं है
है सभी अपने से चेहरे
कोई अनजाना नहीं है
५
मन मे बस कर चल दिए जो
उनका क्यों कर शोक करना
जिनसे साँसों मे सजगता
उन स्वरों को रोक रखना
६
आज कुछ ऐसे पुकारो
एक एक क्षण को संवारो
ले के धीरज ढेर सारा
आज उसका पथ निहारो
अशोक व्यास
न्यू यार्क, अमेरिका
जन ५, 2010
मंगलवार, सुबह ६ बज कर ३३ मिनट
कामना का स्वर बदल कर
३
चल तुझे झूला झुलाऊँ
चांदनी का रथ सजाऊँ
उजलेपन के स्त्रोत से
आज मैं सबको मिलाऊँ
४
दूर तक जाना नहीं है
और कुछ पाना नहीं है
है सभी अपने से चेहरे
कोई अनजाना नहीं है
५
मन मे बस कर चल दिए जो
उनका क्यों कर शोक करना
जिनसे साँसों मे सजगता
उन स्वरों को रोक रखना
६
आज कुछ ऐसे पुकारो
एक एक क्षण को संवारो
ले के धीरज ढेर सारा
आज उसका पथ निहारो
अशोक व्यास
न्यू यार्क, अमेरिका
जन ५, 2010
मंगलवार, सुबह ६ बज कर ३३ मिनट
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