१
सुबह एक चुनौती लेकर आती है
सही सलामत लेकर खुदको
पहुँच कर दिखाओ
मेरे उस छोर तक
जहाँ रात का निवास है
२
चुनौती के इस खेल में
जब जब मैंने पीठ दिखाई है
हार मेरी हुई
और
जब मैं ने
किया है सामना
समय की परतों का,
खोल कर देखते हुए
अपनी संभावनाएं
यूँ लग है
की मैं जीता हूँ
पर साँझ ने कहा
तुम्हारी जीत में भी
मेरी ही जीत है
३
मेरे पास कोई तिलिस्म नहीं है
की मैं दुनियां का बदल दूँ
आखिर अपनी सीमायें स्वीकारते हुए
मैंने कह ही दिया क्षितिज से
क्षितिज कुछ ना बोला
दुनिया कुछ ना बोली
पर काल की परतों का चीर कर
कहीं दूर से आती
पवन ने कहा
'दुनिया तुम्हारा इंतज़ार नहीं करती
बदलती रहती है अपने आप
तुम्हारा काम
अपने आप का बदलना है
कभी दुनिया के साथ
कभी दुनिया से अलग
तय ये करो कि
कब कैसे बदलना
तुम्हारे लिए कल्याणकारी है'
४
शब्द बदल जाते हैं
शब्दों के साथ
मेरे अन्दर का मौसम बदल जाता है
मैं बार बार
करता हूँ प्रयास
उस मौसम को बुलाने का
जो आकर कभी ना जाए
५
तुम्हे चिर वसंत की प्रतीक्षा है
कह कर बंशी वाला मुस्कुराया
देखो ना ध्यान से
तुम्हारी साँसों में ही
छुपाया था मैंने उसे
६
मेरी साँसों में ना जाने क्या क्या छुपा है
एक दिन पर्वत पर चढ़ते हुए
हांफ कर सुस्ताते हुए रुका
तो साँसों में जैसे होड़ लगी थी
मुझसे कुछ कहने की
'हमारे पास
शांति है
सुन्दरता है
आनंद है'
कह कर नन्ही, निश्छल, भोली बच्ची की
तरह बैठ गयी
मेरी साँसे
मेरे आस पास
मुझसे बतियाने
मुझसे कुछ सुनने
मुझे कुछ सुनाने
७
एक समझदार सांस ने
अपनी सखियों को कहा
'हम बैठ नहीं सकतीं देर तक
हम रुक गयीं
तो ये भी रुक जाएगा
हमें चलना है
ताकि इसका जीवन चलता रहे
8
'मुझे सक्रिय रखने के लिए
चलने वाली साँसों!
तुम्हारे साथ मेरा रिश्ता किसने बनाया है?'
पूछा तो
भीतर प्रवेश करती एक सांस ने
क्षितिज में
श्याम का मुख दिखला दिया
९
भीतर के मौन में भी
बोलती रही
श्याम सुमिरन से उत्साहित सांस
बताने लगी
'बहुत पहले
जब हम गोपियाँ थी
श्याम का पीछा करते करते
जीव में आ बैठी हैं
आती हैं जाती हैं
कभी श्याम को खिझाती हैं
कभी श्याम को लुभाती हैं'
१०
तो फिर मैं कौन हूँ?
पूछ कर यह प्रश्न
खुद ही दे डाला उत्तर
'मैं वो हूँ
जो गोपी को श्याम से मिलवाता है'
मैं प्रेमी और उसके प्राप्य के बीच का सेतु हूँ
मैं प्रेम और परमात्मा, दोनों का गौरव हूँ
मैं कुछ नहीं यूँ तो
पर कुछ नहीं होकर भी
सब कुछ हूँ'
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
दिसंबर २३ ०९, सुबह ८ बज कर ३५ minute
सुबह एक चुनौती लेकर आती है
सही सलामत लेकर खुदको
पहुँच कर दिखाओ
मेरे उस छोर तक
जहाँ रात का निवास है
२
चुनौती के इस खेल में
जब जब मैंने पीठ दिखाई है
हार मेरी हुई
और
जब मैं ने
किया है सामना
समय की परतों का,
खोल कर देखते हुए
अपनी संभावनाएं
यूँ लग है
की मैं जीता हूँ
पर साँझ ने कहा
तुम्हारी जीत में भी
मेरी ही जीत है
३
मेरे पास कोई तिलिस्म नहीं है
की मैं दुनियां का बदल दूँ
आखिर अपनी सीमायें स्वीकारते हुए
मैंने कह ही दिया क्षितिज से
क्षितिज कुछ ना बोला
दुनिया कुछ ना बोली
पर काल की परतों का चीर कर
कहीं दूर से आती
पवन ने कहा
'दुनिया तुम्हारा इंतज़ार नहीं करती
बदलती रहती है अपने आप
तुम्हारा काम
अपने आप का बदलना है
कभी दुनिया के साथ
कभी दुनिया से अलग
तय ये करो कि
कब कैसे बदलना
तुम्हारे लिए कल्याणकारी है'
४
शब्द बदल जाते हैं
शब्दों के साथ
मेरे अन्दर का मौसम बदल जाता है
मैं बार बार
करता हूँ प्रयास
उस मौसम को बुलाने का
जो आकर कभी ना जाए
५
तुम्हे चिर वसंत की प्रतीक्षा है
कह कर बंशी वाला मुस्कुराया
देखो ना ध्यान से
तुम्हारी साँसों में ही
छुपाया था मैंने उसे
६
मेरी साँसों में ना जाने क्या क्या छुपा है
एक दिन पर्वत पर चढ़ते हुए
हांफ कर सुस्ताते हुए रुका
तो साँसों में जैसे होड़ लगी थी
मुझसे कुछ कहने की
'हमारे पास
शांति है
सुन्दरता है
आनंद है'
कह कर नन्ही, निश्छल, भोली बच्ची की
तरह बैठ गयी
मेरी साँसे
मेरे आस पास
मुझसे बतियाने
मुझसे कुछ सुनने
मुझे कुछ सुनाने
७
एक समझदार सांस ने
अपनी सखियों को कहा
'हम बैठ नहीं सकतीं देर तक
हम रुक गयीं
तो ये भी रुक जाएगा
हमें चलना है
ताकि इसका जीवन चलता रहे
8
'मुझे सक्रिय रखने के लिए
चलने वाली साँसों!
तुम्हारे साथ मेरा रिश्ता किसने बनाया है?'
पूछा तो
भीतर प्रवेश करती एक सांस ने
क्षितिज में
श्याम का मुख दिखला दिया
९
भीतर के मौन में भी
बोलती रही
श्याम सुमिरन से उत्साहित सांस
बताने लगी
'बहुत पहले
जब हम गोपियाँ थी
श्याम का पीछा करते करते
जीव में आ बैठी हैं
आती हैं जाती हैं
कभी श्याम को खिझाती हैं
कभी श्याम को लुभाती हैं'
१०
तो फिर मैं कौन हूँ?
पूछ कर यह प्रश्न
खुद ही दे डाला उत्तर
'मैं वो हूँ
जो गोपी को श्याम से मिलवाता है'
मैं प्रेमी और उसके प्राप्य के बीच का सेतु हूँ
मैं प्रेम और परमात्मा, दोनों का गौरव हूँ
मैं कुछ नहीं यूँ तो
पर कुछ नहीं होकर भी
सब कुछ हूँ'
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
दिसंबर २३ ०९, सुबह ८ बज कर ३५ minute
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