दो चरण जो हैं तुम्हारे
ले सहारा इनका
गुरुवर
चल रहे हैं कितने सारे
प्यार जग में
बांटते हो
तुम हो
सूरज, चाँद, तारे
तुम सतत विस्तार
अनुपम
तुम सखा
तुम प्राण प्यारे
कर्म बंधन पाश
से मुक्ति दिलाना
ओ सखा रे!
अशोक व्यास
दिसंबर २०, ०९
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह १० बज कर ३८ मिनट
चिर सहारे
No comments:
Post a Comment