विस्मय होता है हर दिन
आखिर है क्या मनुष्य
मन हमारा सक्षम है
कितने सारे संसार बनाने में
कभी लबालब प्यार, कभी असुरक्षा
कभी कृतज्ञता, कभी वैमनस्य
कभी संतोष, कभी ईर्ष्या
कितने सारे सहयोगी भाव हैं मन के
मन यदि अपने ऊपर 'अमन' का शासन पा ले
तो सुलझ जाती हैं कई गुत्थियाँ
श्रद्धा एक 'अव्यक्त व्यक्त' सत्ता में
बना देती है
सहज जीवन को
संभव हो जाता है स्वीकरण,
हर स्थिति को
संभावित सुन्दर श्रृंगार से
सजाने का कौशल
उभर आता है
अनायास ही
कविता की देहरी पर
असुरक्षा का भाव छोड़ कर
जब निकलता हूँ
सत्य कि खोज में
साथ चलती ही है करुणा
तभी क्षमा कर पाता हूँ
स्वयं को
उन सभी बातों के लिए
जो मुझे शायद करनी चाहिए थी
और मैं नहीं कर पाया
उन सभी बातों के लिए
जो मुझे शायद समझनी चाहिए थी
पर मैं समझ नहीं पाया
स्वयं को हमेशा क्षमा करना
आवश्यक नहीं यूँ तो
पर समग्र स्वीकरण के लिए
छोड़ना होता है अधूरापन
नहीं रख सकते साथ अपने
कोई कुनमुनाहट
कोई कसमसाहट
तभी तैरना ऐसे हो पाता है
जैसे
जल में और आप में
अंतर ही नहीं कोई
दरअसल अब तक यूँ लगता है
सत्य वो है जो भेद मिटाता है
एक बनाता है
मेरी काव्य यात्रा
जाने अनजाने
एकत्व का अनुभव करने कीनित्य नयी गाथा है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
बुधवार, १६ दिसंबर ०९
सुबह ६ बज कर १८ मिनट
आखिर है क्या मनुष्य
मन हमारा सक्षम है
कितने सारे संसार बनाने में
कभी लबालब प्यार, कभी असुरक्षा
कभी कृतज्ञता, कभी वैमनस्य
कभी संतोष, कभी ईर्ष्या
कितने सारे सहयोगी भाव हैं मन के
मन यदि अपने ऊपर 'अमन' का शासन पा ले
तो सुलझ जाती हैं कई गुत्थियाँ
श्रद्धा एक 'अव्यक्त व्यक्त' सत्ता में
बना देती है
सहज जीवन को
संभव हो जाता है स्वीकरण,
हर स्थिति को
संभावित सुन्दर श्रृंगार से
सजाने का कौशल
उभर आता है
अनायास ही
कविता की देहरी पर
असुरक्षा का भाव छोड़ कर
जब निकलता हूँ
सत्य कि खोज में
साथ चलती ही है करुणा
तभी क्षमा कर पाता हूँ
स्वयं को
उन सभी बातों के लिए
जो मुझे शायद करनी चाहिए थी
और मैं नहीं कर पाया
उन सभी बातों के लिए
जो मुझे शायद समझनी चाहिए थी
पर मैं समझ नहीं पाया
स्वयं को हमेशा क्षमा करना
आवश्यक नहीं यूँ तो
पर समग्र स्वीकरण के लिए
छोड़ना होता है अधूरापन
नहीं रख सकते साथ अपने
कोई कुनमुनाहट
कोई कसमसाहट
तभी तैरना ऐसे हो पाता है
जैसे
जल में और आप में
अंतर ही नहीं कोई
दरअसल अब तक यूँ लगता है
सत्य वो है जो भेद मिटाता है
एक बनाता है
मेरी काव्य यात्रा
जाने अनजाने
एकत्व का अनुभव करने कीनित्य नयी गाथा है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
बुधवार, १६ दिसंबर ०९
सुबह ६ बज कर १८ मिनट
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