यह क्या है
नृत्य करता सा भीतर
जैसे जल की सतह पर तैरता हंस,
जैसे किरणों की छम छम से
स्वच्छा अंगड़ाई ले
खिल जाए धरती,
जैसे उमड़ आए अनायास
आनंद की बरसात,
जैसे आश्वस्ति धर दे
इस छोर से उस छोर तक कोई,
जैसे बह आए
रोम-रोम से निर्मल प्रेम
और जगमगाए श्रद्धा
कि
शाश्वत है प्रवाह इस प्रेम का
अशोक व्यास
ब्लॉग पर अपलोड करने का समय
न्यू योर्क में नोव २५ सुबह ६ बज कर ३३ मिनट
(पंक्तियाँ उतारी गयीं, कल बैंक में काउंटर तक पहुँचने की
प्रतीक्षा पंक्ति में, जब मन मुझे छोड़ कर कहीं और विचरण करने लगा
अपने आप)
नृत्य करता सा भीतर
जैसे जल की सतह पर तैरता हंस,
जैसे किरणों की छम छम से
स्वच्छा अंगड़ाई ले
खिल जाए धरती,
जैसे उमड़ आए अनायास
आनंद की बरसात,
जैसे आश्वस्ति धर दे
इस छोर से उस छोर तक कोई,
जैसे बह आए
रोम-रोम से निर्मल प्रेम
और जगमगाए श्रद्धा
कि
शाश्वत है प्रवाह इस प्रेम का
अशोक व्यास
ब्लॉग पर अपलोड करने का समय
न्यू योर्क में नोव २५ सुबह ६ बज कर ३३ मिनट
(पंक्तियाँ उतारी गयीं, कल बैंक में काउंटर तक पहुँचने की
प्रतीक्षा पंक्ति में, जब मन मुझे छोड़ कर कहीं और विचरण करने लगा
अपने आप)
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