Wednesday, November 25, 2009

आश्वासन उसके साथ का


सुबह, ताजगी, शान्ति, प्रसन्नता
साँसें
माधुर्य
प्रेम
अपनापन
सम्भावना दबाव रहित

अंतस में
उठता है
कृतज्ञता का आलाप

संशय नहीं
अकुलाहट नहीं
तैय्यारी है
स्वागत करने की

स्वागत सबका

पर खास तौर पर उसका
जिसके आने से, जिसके होने से
मैं पूरी तरह 'मैं' हो पाता हूँ

आश्वासन उसके साथ का
घुला हुआ है
सुबह की हवा मे,
सुबह के साथ आए हर क्षण में
बज रहा है संगीत उसका


कविता नहीं
अपने होने की दशा और दिशा देखता
मगन हूँ मैं
अपने होने से परे होने में

अशोक व्यास
बुधवार, नवम्बर २५, ०९
न्यू योर्क, अमेरिका
सुबह बज कर २४ मिनट

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