१
यह क्या है
जाग्रत रहे जिससे
तुम्हारा एक अंश
चेतना में
तुम्हारे चिरनिद्रा में लीन
हो जाने पर भी ?
ना जाने कैसे
इस अबूझ से
पा लेता है
आश्वस्ति सी जीवन
यह क्या है
जाग्रत रहे जिससे
तुम्हारा एक अंश
चेतना में
तुम्हारे चिरनिद्रा में लीन
हो जाने पर भी ?
ना जाने कैसे
इस अबूझ से
पा लेता है
आश्वस्ति सी जीवन
२
आंसूओं की धारा से
पलट नहीं पाता
समय का पहिया
पर किसी तरह पलट आती है
रस्मयता तुम्हारी उपस्थिति की
३
अब छोड़ दिए हैं
धूप को थैले में भर कर
घर लाने के प्रयास
अब छोड़ दिए हैं
धूप को थैले में भर कर
घर लाने के प्रयास
पर बाँध लिया है
किसी अनाम स्थल पर
किसी अनाम स्थल पर
तुम्हारी याद को मजबूती से
क्योंकि तुम्हारे होने से ही तो
अपना होता रहा है
संसार सारा
संसार सारा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२५ दिसंबर २०१५
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