Friday, November 27, 2015



वक्तव्यों का जंगल है 
छुपा हुआ एक दंगल है 
खबर सत्य को सारी है 
कब किसके मन में छल है 

भारत माँ का आँचल है 
नित्य हमारा सम्बल है 
भाव भूमि मन पावन है 
भाग्य हमारा उज्जवल है 

संयम करने में बल है 
क्षमा बिना कैसा हल है 
समझदार दिखने वाला 
शायद थोड़ा पागल है 

- अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
नवम्बर २७, २०१५ 

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