अब उसके पास
एक और प्रमाण पत्र था
नदी का
कल कल बहती नदी ने
रुक कर
एक क्षण
व्यक्त किया
अपना आनंद
और
घोषित कर दिया उसे
" कवि"
२
नदी और पर्वत के
प्रमाण पत्र लिए
इस बार
आकाश की तरफ देख कर
पूछ उसने
इन प्रशस्ति पत्रों के बदले
कैसे
धन-संपत्ति पाऊँ
कैसे
वैभवशाली बन जाऊं ?
३
हवा ने आकर
छीन लिए
सारे प्रमाण-पत्र
मांगने की फितरत ने
इस बार
उसे
नंगा कर दिया था
इस तरह की
अपनी लाज छुपाने
चल पडा वह
नयी कविता की खोज करने
वन की ओर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ अप्रैल २०१ ३
2 comments:
मूढ़ बने हम, जो कविता का मोल लगाने बैठ गये,
ठेठ भाव थे, शब्दों का श्रृंगार सजाने बैठ गये।
बहुत सुंदर
क्या कहने
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