(धूप आती है, छाया से बतियाती है - चित्र रुद्रानंद आश्रम, ऊना, हिमाचल प्रदेश
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1
यह एक कुछ
जो जेट लेग कहलाता है
रातों को नींद उड़ाता है
जगा कर याद दिलाता है
की उस भूमि से इंसान का गहरा नाता है
जिसे वह पीछे छोड़ कर आता है
2
जागने के बाद
हमें फिर से जागने होता है
ताकि
सोच इस तरह
सज पाए
की
अनंत से अपनापन
खिल खिल जाए
3
जेटलेग हमें
जागने और सोने के बीच
एक
निर्वात में बिठाता है
और
चेतना को फिर से
व्यस्थित होने का अवसर दिलाता है
हमारी चेष्टाओं को मद्धम करके
ये बाताता है
की हम जो हैं, उसका परिचय
जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति
तीनो से
परे तक जाता है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(जेट लेग से समाधि की ओर )
1 comment:
जब मन शान्त हो जाता है, मनुष्य जीवन के जेटलैग से बाहर आ जाता है।
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