बरसों से
हर दिन
सूर्य किरण के साथ
मंदिर की सीढियां धोने का क्रम
एक दिन
बंद करके उसने फिर जाना
यह क्रिया
बाल्टी उठाना
कुएं से पानी निकलना
मंदिर की सीढ़ियों तक ले जाना
पानी छिड़कना
मंदिर से आती घंटी की ध्वनि से साथ
सामने
बरगद के पेड़ पर कबूतरों की हलचल देखना
किसी किसी को
'राम राम' कह देना
ये सब
सहज
सामान्य सी गतिविधियाँ
बरसों से
सुनहरा बनाती रही हैं
उसका सारा दिन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
९ जनवरी २०१२
2 comments:
आत्मीयता में पगी क्रियायें।
behtareen likha
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