Wednesday, December 7, 2011

मौन शिखर पर

 
मौन शिखर पर
शांत मगन वह
आनंद निर्झर सुन मुस्काए
स्पंदन
उसके होने का
मुझसे हर एक प्रश्न भुलाए    

सौंप दिया मन
स्वयं प्रकाशित आत्म-सखा को,
  अब कहना-सुनना छूटा पर
धार सार की बह बह आये
 
 
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
७ दिसंबर २०११   
 
 

 
 
 

2 comments:

Jeevan Pushp said...

मौन शिखर पर
शांत मगन वह
आनंद निर्झर सुन मुस्काए
स्पंदन
उसके होने का
मुझसे हर एक प्रश्न भुलाए

बहुत सुन्दर...!
आभार !

प्रवीण पाण्डेय said...

समर्पण की निष्कर्ष धार..

सुंदर मौन की गाथा

   है कुछ बात दिखती नहीं जो  पर करती है असर  ऐसी की जो दीखता है  इसी से होता मुखर  है कुछ बात जिसे बनाने  बैठता दिन -...