Wednesday, November 2, 2011

एक नई सुबह का इंतज़ार


सुबह के आने से पहले
तैयार है
फरमाईशों की नई फेहरिस्त

ये करना है
वो कहना है
ये सूचना लेनी है
वो सूचना देनी है
यहाँ जाना है
वहां जाना है
उससे मिलना है
उसे वो बताना है


सुबह के आने से पहले
इतने पैबंद लगा लिए हैं
अपने ऊपर
चिंताओं के
चुनौतियों के
और
दे दिए है
आने से पहले ही
इतने सारे पलों को उधार
की
अब
पता भी न चलेगा
सुबह कब आई
क्या साथ लाई
और ये भी न जान सकूंगा 
की
कब मुझे छोड़ कर चली गयी सुबह
एक नई सुबह का इंतज़ार करने



अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ नवम्बर २०११               

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन की डूबी हुयी सुबहें।

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