सुबह के आने से पहले
तैयार है
फरमाईशों की नई फेहरिस्त
ये करना है
वो कहना है
ये सूचना लेनी है
वो सूचना देनी है
यहाँ जाना है
वहां जाना है
उससे मिलना है
उसे वो बताना है
सुबह के आने से पहले
इतने पैबंद लगा लिए हैं
अपने ऊपर
चिंताओं के
चुनौतियों के
और
दे दिए है
आने से पहले ही
इतने सारे पलों को उधार
की
अब
पता भी न चलेगा
सुबह कब आई
क्या साथ लाई
और ये भी न जान सकूंगा
की
कब मुझे छोड़ कर चली गयी सुबह
एक नई सुबह का इंतज़ार करने
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ नवम्बर २०११
1 comment:
जीवन की डूबी हुयी सुबहें।
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