अब नहीं सता रहेजीत और हार,खेल मेरा है ही नहींउसी का है इस बारअदभुत व अनुपम समर्पण है आपका.'सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणम व्रज'सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
खेल उसी का, नियम उसी के।
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है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
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अब नहीं सता रहे
जीत और हार,
खेल मेरा है ही नहीं
उसी का है इस बार
अदभुत व अनुपम समर्पण है आपका.
'सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणम व्रज'
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
खेल उसी का, नियम उसी के।
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