सीढियांअपने आपआ जाती हैंपांवों के नीचेकम शब्दों में गहरी बात , छायावादी भी बधाई
अध्यात्मिक मुस्कान।
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है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...
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सीढियां
अपने आप
आ जाती हैं
पांवों के नीचे
कम शब्दों में गहरी बात , छायावादी भी बधाई
अध्यात्मिक मुस्कान।
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