चल जीवन का रस भर लायें
सुन्दरतम को गले लगाएं
जिससे सब अपना हो जाए
चलो, आज उसको अपनाएँ
निर्णय कर लेने का क्षण है
बंधन छोड़, मुक्त हो जाएँ
अपने होने की आभा को
करें उजागर, अब न छुपायें
जीवन हर दिन नया नया है
नूतनता को सखी बनाएं
जो दीखता है, उससे आगे
अनदेखे से आँख मिलाएं
वो जो फूल फूल खिलता है
उसे अधर पर आज बिठाएं
करें असंभव को अब संभव
हर धड़कन में प्यार जगाएं
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३१ मार्च २०११
2 comments:
sunder soch -
pravahmayi kavita.
हर धड़कन में प्यार जगायें,
बहुत सुन्दर।
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