अब जिस मोड पर
आ पहुंचा है प्यार
उसे अभिव्यक्ति की
नहीं है दरकार
चुचाप कर देता
मौन का श्रृगार
दे देता हलचल में
अडिग आधार
२
एक वो रंग थे
प्यार के
जब
पल-पल
आश्वस्ति की रहती थी प्यास
अब
वह पड़ाव है
जहाँ संशय नहीं
साथ हैं बस
श्रद्धा और विश्वास
३
एक वो दिन
जब साथ रहे
व्याकुलता, बैचेनी और तड़पन
अब प्यार ऐसा
कि आनंद का
अनवरत आलिंगन
४
ना जाने
मैं प्यार में नहाया
या प्यार ने
मुझसे कुछ पाया
कुछ ऐसा
जो अनिर्वचनीय है
निरंतर रहती है
जिसकी
स्निग्ध, शीतल छाया
५
एक वो दिन
जब प्यार की कविता
फूटती थी
रस्सी छुड़ा कर भागती गैय्या सी
अब वह काल
जब प्यार की ऑंखें
विराट दरसन करती
यशोदा मैय्या सी
६
प्यार ही जीवन है,
ऐसा तब भी
मैंने कहा तो था
पर तब
अर्थ प्यार का
इतना मुक्त नहीं था
जितना अब है
जब
मैं ने प्यार से
जान लिया है
अर्थ जीवनमुक्त होने का
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१४ फरवरी २०११
2 comments:
प्रेम मुक्ति दे तो समझ लीजिये कि वह प्रेमी ईश्वर है।
प्यार ही जीवन है,
ऐसा तब भी
मैंने कहा तो था
पर तब
अर्थ प्यार का
इतना मुक्त नहीं था
जितना अब है
जब
मैं ने प्यार से
जान लिया है
अर्थ जीवनमुक्त होने का
वाह! सुन्दर अति सुन्दर.
'जीवनमुक्त' होने का अर्थ हमें भी बताएं
यानि थोडा थोडा प्यार करना हमें सिखलाएँ.
अनुपम प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार.
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