1
एक बूँद अमृत
मेरी हथेली पर
रख कर
देखा उसने मुझे
उसके देखे से
अमृतमय हो गई साँसे
२
तुम मुझे पकड़ना चाहते हो
खिलखिलाया वह
फिर तो
मेरा जैसा बनना पड़ेगा तुम्हें
कह कर प्रविष्ट हो गया मुझमें
३
विश्व को
ब्रह्म का अंडा कह कर
संबोधित करने वाले
देख पाये होंगे
कितना-कितना विस्तार
सोच-विचार की आँखों से
भला कैसे मापा जाए उसे
४
ये वो अदृश्य रास्ता है
जो प्रकट होता है
हमारे चलने से
और जब कोई चलते चलते
अनिश्चय में खड़ा हो जाता है
ये जगमग रास्ता खो जाता है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शनिवार, ५ फरवरी २०११
13 comments:
जीवन दर्शन की उत्तम अभिव्यक्ति…………इसी बूँद की चाह मे तो जन्म मरण के फ़ेर मे पडा हुआ है जीव्।
बहुत गहन चिंतन..सुन्दर प्रस्तुति.
अमृतमयी वचनों को प्रणाम।
मन की छटपटाहट एवं आत्मविश्वास का सुंदर समावेश किया है आपने इस रचना में |
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
I HAVE READ YOUR POEMS AND REALISED THAT SAMVIT GURU(SWAMIJI)HIMSELF SPEAKS FROM YOUR HEART...........
FROM:
VANDITA PREMRATAN THANVI(MUMBAI)
aap bahut achchha likhte hai.......ati sundar
तुम मुझे पकड़ना चाहते हो
खिलखिलाया वह
फिर तो
मेरा जैसा बनना पड़ेगा तुम्हें
कह कर प्रविष्ट हो गया मुझमें
waah, bahut hi badhiyaa
दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
सादर,
डोरोथी.
उत्तम अध्यात्म दर्शन से ओतप्रोत...
Vandanaji,
Kailashji,
Praveenjee,
Suniljee,
Ashwiniji
Anaji
RashmiPrabhaji
Dorothyji
aur Sushilji
Amrit kee pyas jagrat rahe
aur 'kaaljayee' us pyas ka prapy
ban kar mile,
dhanywaad ke saath aisi mangal kaamna
Hi This is Rajkumari ( sister of ramesh joshi , jodhpur ) i have subscribed to ur site but i dont get ur poems wale mail daily :(
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