मन
खाली आकाश सा
लील गया है
सारे बिम्ब
शांत विस्तार में
विलीन हुए
संकल्प
इस विराम में अनुपस्थित है
अभिव्यक्ति की चाहत
इस स्थिरता में
गुदगुदाती सी अनाम लहरें
सृजन केंद्र की आभा में तन्मय
मौन में
दुर्लभ आश्वस्ति का रस संचार करते
तुम्हारे बोध की अनुभूति करने
अलग बना रहता हूँ
तुमसे
और मेरी पूजा के द्वारा
तुम्हे कुछ मिले या ना मिले
मुझे मिलता रहता है
'तुम्हारे मिल' जाने का सुन्दरतम अनुभव
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२१ दिसंबर २०१०
मंगलवार
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