गाँठ खुलने के बाद
होती है
एक जो
सफलता की अनुभूति
उमड़ता है उसमें
आनंद का कोरा उजाला
उस पल के सौंदर्य से
जगमग होता पथ
गांठें खोलते-खोलते
होती है
एक जो
सफलता की अनुभूति
उमड़ता है उसमें
आनंद का कोरा उजाला
उस पल के सौंदर्य से
जगमग होता पथ
गांठें खोलते-खोलते
कभी तो
पहुँच जायेंगे
गंतव्य तक
हम,
पहुँच जायेंगे
गंतव्य तक
हम,
क्या
उस मुक्त अवस्था को
साथ लेकर भी
संभव है
सतत सुन्दर गति?
साथ लेकर भी
संभव है
सतत सुन्दर गति?
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ नवम्बर २०१०
1 comment:
स्वप्न एक सुन्दर सतत गति का।
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