Tuesday, November 16, 2010

सतत सुन्दर गति

 
 
 
 
 
 
 
 

 
गाँठ खुलने के बाद
होती है
एक जो
सफलता की अनुभूति
उमड़ता है उसमें
आनंद का कोरा उजाला
उस पल के सौंदर्य से
जगमग होता पथ
गांठें खोलते-खोलते
कभी तो
पहुँच जायेंगे
गंतव्य तक
हम,
 क्या 
उस मुक्त अवस्था को
साथ लेकर भी
संभव है
सतत सुन्दर गति?

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ नवम्बर २०१०

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

स्वप्न एक सुन्दर सतत गति का।

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