Saturday, November 6, 2010

रोम रोम आनंद सुनाये




 
दीप पर्व की बात निराली
चेहरे पर खुशियों की लाली
फसल उमंगो की लहराई
नींव सृजन की नूतन डाली
 
 
 
राम नाम का सार खिलाये
ज्योति पर्व मन मंगल गाये
मधुर मौन में रमा हुआ मैं
रोम रोम आनंद सुनाये
 

 
वो सच्चा जो सच को ध्याये 
उसे याद कर मन खिल जाए
खिले हुए मन की आभा से 
गहन अँधेरा भी मिट जाए

जय श्री कृष्ण 
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शनिवार, ६ नवम्बर 2010

3 comments:

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना.....बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Sunil Kumar said...

बहुत अच्छी रचना सन्देश देती हुई

प्रवीण पाण्डेय said...

सच पूजने से सब दुख मिट जाते हैं।

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