उसने फिर पूछा
पहाड़ से
धीरज कहाँ से लाऊँ
मंद मंद
मुस्कुरा कर
बताने को था
मौन तोड़ कर पर्वत कि
धीरज का रास्ता मिलेगा
साँसों के मध्य स्थित विराम में
धडकनों की लय में विराजित आराम में
पर उसी क्षण
अधीरता में अपनी
चल पडा वह
पर्वत से निराश होकर
किसी ओर से
धीरज के गाँव का पता पूछने
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१० अक्टूबर 2010
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