Wednesday, August 11, 2010

छुपा हुआ व्यवहार तुम्हारा





सचमुच में संसार तुम्हारा सच्चा है
छुपा हुआ व्यवहार तुम्हारा अच्छा है

चाहे कोई साथ चले या रुक जाए 
पग पग पर आधार तुम्हारा अच्छा है

सोच रहा था साथ उम्र के हुआ बड़ा 
पर मुझमें अब तक कोई एक बच्चा है 

तुमको बतलाने से बात संवर जाए
वरना मेरी समझ का दाना कच्चा है

छोड़ दिया गर सब कुछ तेरे द्वारे पर
मन में क्यूं फिर लेन-देन का चर्चा है


अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
बुधवार, ११ अगस्त २०१०








2 comments:

vandana gupta said...

bahut sundar bhaavavyakti.

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर कृति।

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