फिर से वो अहसास पुराने लौटा दे
तेरी खुशबू भरे ज़माने लौटा दे
अंदेशे की आहट दूर हटे जिनसे
अब तो वो अंदाज़ पुराने लौटा दे
रस्ते से दीवार हटाने की जिद है
हिम्मत से भरपूर तराने लौटा दे
जो भी सोचूँ, उसमें तेरा अक्स रहे
तेरी चाहत भरे ज़माने लौटा दे
आग और पानी जिसको ना छू पायें
उसकी नज़रों के नजराने लौटा दे
सच्चाई का सूरज जो रोशन करते
धरती को ऐसे दीवाने लौटा दे
सारी दुनिया की दौलत से महंगे हैं
यार मेरे दो-चार पुराने लौटा दे
अशोक व्यास
७ बज कर ३० मिनट
शनिवार, १० जुलाई २०१०
2 comments:
KOOL
यार रहें तो क्या बात है ?
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