Friday, June 11, 2010

एक झलक विराट की

  
प्रथम चरण 

वही एक पथ
दिन दिन 
नूतन, सुन्दर, मंगल
यहीं बैठ
सुनती है
मधुर नदी की कल-कल 
दूसरा चरण 

एक वह बिंदु
जिसमें से
प्रकट होता है सिन्धु
स्वर्णिम विस्मय
छुपा कर
मौन मगन
मद्धम मुस्कान से
सृजनात्मक स्वर लिए
खिलखिला कर
रचनात्मक विस्तार से
दिखलाता है
एक झलक विराट की


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका

प्रथम खंड- ११ जून २०१०
दूसरा चरण- मई ३०, २०१०

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