Saturday, May 1, 2010

होने ना होने से परे

(बाल्डविन, न्यूयार्क स्थित साईं मंदिर में लिया गया चित्र -      अशोक व्यास)

सबके साथ  
होकर भी 
 कई बार
 हमें घेर लेता है
अकेलापन,

और कभी
अनायास
मिल जाता 
अंतस में अपार 
अपनापन,

हम 
संबंधों के पुल बनाते हैं
या 
उन्हें उपहार में पाते हैं
बहुत कुछ 
ऐसा होता है जीवन में
जिसे
हम समझ नहीं पाते हैं

फिर भी एक जिद सी
कि हर बात को समझ के
दायरे में लाना है
और हम ही सर्वज्ञ हैं
ऐसा औरों को ना सही
खुद को जताना है

सीमाओं को स्वीकारे बिना
नहीं होता असीम का अनुभव
और फिर जब हर सीमा में
दिखता है अनंत का गौरव

महसूस होता है
होने ना होने से परे भी
है कोई एक स्थल,
जो स्थिर है
परे समय के
पर उसी से है हर पल,

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
सुबह ७ बज कर १५ मिनट
शनिवार, मई १, २०१०





n

No comments:

सुंदर मौन की गाथा

   है कुछ बात दिखती नहीं जो  पर करती है असर  ऐसी की जो दीखता है  इसी से होता मुखर  है कुछ बात जिसे बनाने  बैठता दिन -...