Friday, November 27, 2015
Thursday, November 26, 2015
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सुंदर मौन की गाथा
है कुछ बात दिखती नहीं जो पर करती है असर ऐसी की जो दीखता है इसी से होता मुखर है कुछ बात जिसे बनाने बैठता दिन -...

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सुबह से शाम तक एक बगूला सा उठता है एक लहर ऐसी जिसको किनारा नहीं असमान को छू लेने की जिद है और मैं चारो दिशाओं में तलाशता फिरता वो छडी जिसस...
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(सूर्योदय जैसलमेर का - अगस्त २००८) लो देख लो सारी धरती सारा आसमान और ये सब नदी, पर्...